सिनेमा में अपराध और नग्नता का ग्लोरीफिकेशन: एक नई चिंता
सिनेमा में अपराध और नग्नता का ग्लोरीफिकेशन: एक नई चिंता हाल के वर्षों में भारतीय सिनेमा ने अपराध, हिंसा और नग्नता को ऐसे ढंग से प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है, जिसे देखते हुए यह चिंता स्वाभाविक लगती है। KGF, Animal जैसी फिल्में जबरदस्त लोकप्रियता हासिल कर रही हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या इन फिल्मों के जरिए समाज में गलत संदेश सामान्य हो रहे हैं। सिनेमा हमेशा समाज का दर्पण रहा है, लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब अपराध केवल दिखाया ही नहीं जाता, बल्कि उसे आदर्श और ग्लैमराइज्ड रूप में पेश किया जाता है, बिना किसी नैतिक या कानूनी परिणाम को दिखाए। इस प्रवृत्ति की चिंताएँ 1. हिंसा का सामान्यीकरण: जब गैंगस्टर या अपराधी को ताकतवर, स्टाइलिश और आकर्षक दिखाया जाता है, तो युवा वर्ग पर यह संदेश जाता है कि अपराध से सफलता और सम्मान मिलता है। 2. नैतिकता पर असर: ऐसे कथानक जहां अपराधी को सजा नहीं मिलती, दर्शकों के नैतिक मूल्य कमजोर कर सकते हैं। 3. यौनिकता और नग्नता: फिल्म में जब नग्नता या यौन दृश्य केवल मनोरंजन के लिए दिखाए जाते हैं, तो यह यथार्थ और संवेदनशीलता को विकृत कर सकते हैं। 4. वास्तविकता और कल्पना...