2024 लोकसभा चुनाव: सीटों के आंकड़ों और आरोपों की लहर में लोकतंत्र की कसौटी
2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद देश की राजनीतिक फिजा में नई बहस छिड़ गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हालिया बयान – "अगर हमारी पार्टी को 125 सीटें मिल जातीं, तो देश की सत्ता की तस्वीर बदल जाती" – ने बहस को गरमा दिया है। इस मुद्दे पर भाजपा, चुनाव आयोग और मीडिया के प्रमुख न्यूज़ चैनलों ने भी अपने-अपने नज़रिए पेश किए हैं, जिससे मामला और पेचीदा हो गया है।
राहुल गांधी का दावा और विवाद
कांग्रेस पार्टी के दिग्गज राहुल गांधी ने चुनाव के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं और मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "हमने जिन-जिन सीटों पर मेहनत की, वहां भाजपा मशीनरी ने वोटिंग पैटर्न में हस्तक्षेप किया। अगर कांग्रेस को महज 125 सीटें मिलतीं, तो गठबंधन के समीकरण बदल जाते और केंद्र में भाजपा की सरकार बनाना लगभग असंभव हो जाता।" बेंगलुरु सेंट्रल जैसी सीटों का ज़िक्र करते हुए राहुल ने फर्जी वोटर लिस्टों और संदिग्ध वोटिंग पर सवाल उठाए।
कांग्रेस का यह भी आरोप है कि बेंगलुरु की कई विधानसभाओं में एक ही पते पर सैकड़ों वोटर मिले, फोटो और दस्तावेज़ मेल नहीं खा रहे थे और फॉर्म-6 का दुरुपयोग हुआ। पार्टी की मांग है कि ऐसी जगहों पर चुनाव आयोग स्वतंत्र जांच कराए।
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भाजपा का जोरदार प्रत्युत्तर
भाजपा ने राहुल गांधी और कांग्रेस के आरोपों को राजनीतिक हताशा करार दिया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, "राहुल गांधी एक के बाद एक हार से हताश हैं। वे लोकतंत्र की संस्थाओं को बेवजह बदनाम कर रहे हैं। चुनाव आयोग पूरी निष्ठा और पारदर्शिता के साथ काम करता है।"
भाजपा का मानना है कि कांग्रेस को जनता ने नकार दिया है और अब 'ब्यूरोक्रेसी फॉल्ट' ढूंढकर जनादेश की अनदेखी करना लोकतांत्रिक मर्यादाओं के विपरीत है।
भाजपा प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कहा, "ऐसे आरोपों का आयोग द्वारा कई बार तथ्यात्मक खंडन हो चुका है। कांग्रेस भूमि पर संगठन एवं नीति दोनों मोर्चों पर विफल रही।"
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चुनाव आयोग की सफाई
भारतीय चुनाव आयोग ने भी इन विवादों के मद्देनज़र बयान जारी किया। आयोग ने कहा, "ये चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और ऐतिहासिक रूप से रिकॉर्ड मतदान के बीच शांतिपूर्ण हुए।" आयोग ने स्पष्ट किया कि हर संदेह और शिकायत की समय रहते जांच की गई। जहां कहीं मतदाता सूची में गड़बड़ी या मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायतें आईं, वहां त्वरित कार्रवाई की गई।
"ईवीएम, वीवीपैट और अन्य समस्त प्रोटोकॉल पूरी निष्ठा से लागू किए गए," आयोग ने कहा और देशवासियों से लोकतंत्र में विश्वास बनाए रखने की अपील की।
मीडिया की भूमिका और विश्लेषण
देश के प्रमुख न्यूज़ चैनलों पर भी इस विवाद से जुड़ी तीखी बहसें सामने आ रही हैं। कई विश्लेषकों ने राहुल गांधी की "125 सीट" वाली थ्योरी को आंशिक रूप से तथ्यात्मक मानते हुए कहा कि अगर INC को 25-30 सीटें अतिरिक्त मिल जातीं तो NDA बहुमत के आंकड़े के करीब लुढ़क सकती थी और छोटे दलों का पलड़ा भारी हो सकता था।
वहीं अधिकांश पैनलिस्ट्स का यह भी कहना है कि बार-बार चुनाव प्रक्रिया पर शक जताना लोकतांत्रिक पारदर्शिता को नुकसान पहुंचा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, "किसी भी प्रजातंत्र में चुनाव आयोग की निष्पक्षता सबसे ऊपर है – इसपर संदेह सिर्फ सियासी एजेंडे की पूर्ति करता है।"
लोकतंत्र की कसौटी पर जिम्मेदारी
अगर एक वोट भी फर्जी या गलत है तो वो सिस्टम ही हार है और जैसा की कानून में कहा जाता है एक भी बेकसूर को सजा न हो चाहे कितने ही कसूरवार बाहर रह जाये| 2024 के नतीजों और बाद के राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप लोकतंत्र की कसौटी पर सभी पक्षों को सोचने के लिए मजबूर करते हैं। सत्ता का संघर्ष, जनादेश की व्याख्या और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता – इन्हीं सवालों के बीच भारत का लोकतंत्र अपनी मजबूती का प्रमाण देता है।
राजनीति के इन रंगों में मतदाता की सजगता, मीडिया की निष्पक्षता और संस्थाओं की स्वायत्तता ही भविष्य में भारत की संसदीय व्यवस्था को और मजबूत बनाएंगी।
“लोकतंत्र सिर्फ चुनाव जीतने-हारने की प्रक्रिया नहीं, जिम्मेदार संवाद और संस्थागत मर्यादा में विश्वास रखने की भी कसौटी है।”
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