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Showing posts from December, 2024

The Trolling Culture: A Digital Plague on Societ

 The advent of social media has brought revolutionary changes in communication, enabling people to connect and share ideas globally. However, it has also given rise to a darker trend: trolling. Trolling culture, the act of provoking, insulting, or harassing individuals online for amusement or malice, has become a pervasive issue. Coupled with hate speech, it contributes to a toxic online environment with widespread societal repercussions. Understanding Trolling Culture Trolling often starts as a joke or an attempt to incite reactions. Trolls thrive on anonymity, using it to spread insults, misinformation, and hate. Over time, trolling has evolved from harmless pranks to deeply problematic behaviors, including targeted harassment and cyberbullying. High-profile figures, activists, and even ordinary users have found themselves at the receiving end of trolling campaigns, often resulting in severe mental health impacts. The Effects of Trolling on Society Mental Health Crisis : ...

Why Should We Read Books and Why Literature is Essential in Life?

  Why Should We Read Books and Why Literature is Essential in Life? Books have always held a significant place in human civilization. They are not just a source of knowledge but also a mirror to the world, reflecting the multifaceted nature of human existence. Reading books is more than just an intellectual exercise; it is an essential tool for personal growth, emotional development, and a better understanding of the world around us. In this fast-paced digital age, where instant gratification is the norm, the habit of reading books has become increasingly important. Reading stimulates the mind and broadens our knowledge. Every book, whether fiction or non-fiction, introduces us to new ideas, concepts, and perspectives. Literature exposes us to different cultures, historical events, and philosophical ideologies. It deepens our understanding of human emotions, challenges, and triumphs, thereby helping us develop empathy and tolerance for others. For instance, reading novels like To...

Acharya Prashant: A Visionary of Wisdom and Self-Realization

  Acharya Prashant: A Visionary of Wisdom and Self-Realization Acharya Prashant is a contemporary spiritual teacher and writer, recognized for his deep philosophical insights and practical wisdom. He has been an advocate of self-realization, seeking to inspire individuals to awaken to their true potential and find peace within themselves. Unlike traditional spiritual teachers, Acharya Prashant blends ancient Indian philosophies with modern-day issues, offering unique perspectives on how to approach life with clarity and calm. Born in India, Acharya Prashant's journey toward becoming a spiritual teacher began at a young age. His academic background in engineering and management laid the foundation for his rational and scientific approach to spirituality. He pursued his higher studies at the Indian Institute of Technology (IIT) Delhi, and later at the Indian Institute of Management (IIM) Ahmedabad. It was during his time at IIM that he realized that success, fame, and wealth were n...

जीवन में मार्गदर्शक की भूमिका और भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा

  जीवन में मार्गदर्शक की भूमिका और भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा जीवन में मार्गदर्शक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि वे हमें न केवल ज्ञान देते हैं, बल्कि हमारे व्यक्तित्व के विकास में भी सहायक होते हैं। एक मार्गदर्शक वह व्यक्ति होता है जो हमें जीवन के सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है और हमारे निर्णयों को समझदारी और संवेदनशीलता से मार्गदर्शित करता है। भारतीय समाज में इस भूमिका को सदियों से बहुत सम्मानित किया गया है, और इसे गुरु-शिष्य परंपरा के रूप में देखा जाता है। भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा एक प्राचीन शिक्षा प्रणाली है, जिसमें गुरु (शिक्षक) अपने शिष्य (विद्यार्थी) को न केवल शैक्षिक ज्ञान बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य भी सिखाता है। यह परंपरा न केवल ज्ञान के आदान-प्रदान की प्रक्रिया है, बल्कि यह एक नैतिक और आध्यात्मिक संबंध भी बनाती है, जो जीवन को समृद्ध बनाती है। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान के समान माना गया है, और शिष्य अपने गुरु से सच्चे मार्गदर्शन की प्राप्ति करता है। गुरु-शिष्य परंपरा का इतिहास बहुत पुराना है और भारतीय शिक्षा प्रणाली में इसकी जड़ें गहरी हैं। ...

सुरक्षित यौन संबंध: स्वस्थ जीवन की दिशा में एक कदम

  सुरक्षित यौन संबंध: स्वस्थ जीवन की दिशा में एक कदम सुरक्षित यौन संबंध आज के समय में बेहद महत्वपूर्ण विषय बन चुका है, क्योंकि यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए बल्कि समाज की समग्र भलाई के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। सुरक्षित यौन संबंध का तात्पर्य है यौन संक्रमणों (STIs) से बचाव और अप्रत्याशित गर्भावस्था से बचने के उपायों को अपनाना। यह दोनों ही पहलू एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन की नींव रखते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यौन संबंधों के दौरान दोनों पार्टनर्स की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इस संदर्भ में कंडोम का उपयोग एक अत्यधिक प्रभावी उपाय है। कंडोम का उपयोग न केवल गर्भावस्था को रोकता है, बल्कि यह यौन संक्रमणों से भी बचाव करता है। एचआईवी, गोनोरिया, सिफलिस, और क्लैमाइडिया जैसे संक्रमणों से बचने का कंडोम सबसे सस्ता और प्रभावी तरीका है। कंडोम के उपयोग से शारीरिक स्वास्थ्य तो बेहतर होता ही है, साथ ही मानसिक शांति भी मिलती है क्योंकि दोनों पार्टनर्स जानते हैं कि वे सुरक्षित हैं। सुरक्षित यौन संबंध में केवल कंडोम का उपयोग ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसके लिए दोनों पार्टनर्स के बीच खुली और ईम...

पुल जो छोड़ गया हमारा साथ, कानपुर की पहचान

  पिछले दिनों कानपुर का 150 साल पुराना गंगापुल टूट गया। इस पुल पर से कई बार गुजरे हैं। अनेक यादें जुड़ी हैं। पुल गिरने की खबर मिलने पर देखने गए पुल। शहर होते हुए घर से दूरी 15 किलोमीटर। गंगाबैराज की तरफ़ से जाते तो दूरी 23 किलोमीटर दिखा रहा था। समय लगभग बराबर। शहर होते हुए गए। जहां से पुल शुरू होता है वहीं पर गाड़ी सड़क किनारे ही खड़ी कर दी। रेती में पुल के नीचे -नीचे चलते हुए उस हिस्से की तरफ़ गए जो हिस्सा टूटा था।  पुल का टूटा हुआ हिस्सा नदी के पानी में धराशायी सा लेटा  था। क्या पता वह गाना भी गा रहा हो -'कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले ये जगह साथियों।' पुल के आसपास पक्षी तेज आवाज़ में चहचहाते हुए शायद पुल के बारे में ही चर्चा कर रहे थे। एक दूधिया अपने दूध के कनस्तर पानी में धोकर रेती में औंधाए रखकर गंगा स्नान कर रहा था। स्नान करके नदी से निकलते हुए एक बुजुर्ग को नदी किनारे निपटते देखकर भुनभुनाते हुए कहने लगा -' यह भी नही कि गंगाजी से ज़रा दूर होकर निपटें। एकदम किनारे ही गंदगी करने बैठ गए।' उसके भुनभुनाने के अन्दाज़ से लग रहा था कि उसकी मंशा केवल ख...