पारदर्शिता: सरकार और जनता के बीच भरोसे का सबसे मजबूत पुल
भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यहाँ सत्ता का मूल केंद्र जनता है। लेकिन जनता तभी सशक्त होती है, जब उसे पता हो कि शासन-प्रशासन क्या कर रहा है, निर्णय कैसे लिए जा रहे हैं और उसके टैक्स से चलने वाली योजनाओं का क्रियान्वयन किस स्तर पर है। यही काम पारदर्शिता (Transparency) करती है—सरकार के हर स्तर को जनता की नज़र से जोड़ना।
1. पारदर्शिता क्यों जरूरी है?
(a) भ्रष्टाचार कम करने का सबसे प्रभावी तरीका
जब फ़ाइलों, टेंडरों, नियुक्तियों, भुगतान और खरीदी-प्रक्रिया को खुले डेटा या सार्वजनिक प्लेटफ़ॉर्म पर रखा जाता है, तो किसी भी गलत काम को छिपाना मुश्किल हो जाता है।
पारदर्शिता एक तरह से भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रकाश का काम करती है—अंधेरा कम, गलतियाँ कम।
(b) जनता का भरोसा बढ़ता है
सिस्टम तभी चलता है जब नागरिक भरोसा रखते हैं।
अगर योजनाओं की प्रगति, खर्च, अधिकारियों की जवाबदेही और ग्राउंड रिपोर्ट सार्वजनिक हों, तो नागरिकों को स्पष्ट दिखता है कि सरकार उनके लिए क्या कर रही है।
(c) नीति-निर्माण में जनता की भागीदारी बढ़ती है
खुले डेटा और पारदर्शी प्रक्रियाएँ आम नागरिकों, शोधकर्ताओं, पत्रकारों, और सामाजिक संगठनों को नीतियों पर सही इनपुट देने का अवसर देती हैं।
मजबूत लोकतंत्र वहीं बनता है जहां नागरिक सिर्फ वोटर नहीं बल्कि सहभागी हों।
2. सरकारी संस्थानों की भूमिका: पारदर्शिता निर्माण के 5 मुख्य स्तंभ
1) सूचना का अधिकार (RTI)
RTI हर नागरिक को सरकारी फाइलों और निर्णयों की जानकारी पाने का अधिकार देता है।
यह भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा जन-औज़ार है। RTI के कारण हजारों अनियमितताएँ वर्षों में उजागर हुई हैं।
2) ई-गवर्नेंस एवं डिजिटलीकरण
ऑनलाइन पोर्टल, डिजिटल भुगतान, ई-ऑफिस, PFMS जैसे सिस्टम ने घूस, देरी, अफसर-चक्कर, और बिचौलियों की भूमिका को काफी घटाया है।
डिजिटल ट्रेल रियल-टाइम ज़िम्मेदारी तय करता है।
3) सोशल ऑडिट
MGNREGA जैसी योजनाओं में सोशल ऑडिट ने दिखाया कि जब स्थानीय नागरिक खुद निरीक्षण करते हैं, तो फर्जी बिल, फर्जी मजदूर, और फर्जी मटेरियल की घटनाएँ काफी कम हो जाती हैं।
4) लोकपाल, लोकायुक्त, CVC जैसी निगरानी संस्थाएँ
ये संस्थाएँ सरकारी कर्मचारियों और विभागों पर निगरानी रखती हैं।
इनकी ताकत जितनी बढ़ती है, उतना ही भ्रष्टाचार का डर बढ़ता है।
5) ओपन डेटा पोर्टल
भारत सरकार का ओपन डेटा पोर्टल हजारों योजनाओं, खरीद, खर्च, जनसांख्यिकी और प्रगति की जानकारी पूरी जनता के लिए उपलब्ध कराता है।
यह शोधकर्ताओं और नागरिक पत्रकारिता के लिए सोने की खान है।
3. पारदर्शिता कैसे दिखाती है कि “क्या हो रहा है” और “कैसे हो रहा है”?
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योजनाओं का लाइव डैशबोर्ड (जैसे स्वच्छ भारत, PMAY, जल जीवन मिशन)
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खर्च और भुगतान का रियल-टाइम डेटा
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नियुक्ति प्रक्रियाओं का ऑनलाइन रिकॉर्ड
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टेंडर और कॉन्ट्रैक्ट की ओपन लिस्टिंग
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सरकारी बैठकों के मिनट्स और आदेशों की सार्वजनिक उपलब्धता
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नागरिकों की ऑनलाइन शिकायत प्रणाली
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फेसलेस टैक्स और फेसलेस सर्विस मॉडल
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संसद और विधानसभा की लाइव कार्यवाही
इन सबका सम्मिलित परिणाम—सरकार का हर कदम जनता की नज़र में रहता है।
4. जनता और सरकार के बीच जब पारदर्शिता होती है, तो क्या बदलता है?
(1) गलत काम करने के अवसर घटते हैं
क्योंकि कुछ भी छिपा नहीं रहता—न खरीद, न नियुक्ति, न मंजूरी।
(2) निर्णय लेने की गति बढ़ती है
फाइलें डिजिटल हैं, मंजूरियाँ ऑनलाइन हैं, निरीक्षण रियल-टाइम है।
(3) अफसर जिम्मेदारी से काम करते हैं
क्योंकि हर कदम का डिजिटल रिकॉर्ड मौजूद रहता है।
(4) जनता को सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ती दिखती है
डिले कम, लाइनें कम, बिचौलिए गायब।
(5) लोकतंत्र मजबूत होता है
क्योंकि सिस्टम जनता के सामने खुला रहता है।
5. भविष्य क्या है? — अगला कदम
भारत अब प्रेडिक्टिव गवर्नेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित निरीक्षण, फुल-स्टैक डिजिटलीकरण, और ओपन लाइव डेटा की ओर बढ़ रहा है।
यानी आने वाले वर्षों में सरकारी कामकाज और भी खुला, तेज और जवाबदेह होगा।
पारदर्शिता सिर्फ एक सिद्धांत नहीं—एक मजबूत लोकतंत्र की प्राणशक्ति है।
जब सरकार अपने दफ़्तरों, निर्णयों और खर्चों पर जनता की नज़र बनाए रखती है, तो भरोसा बढ़ता है, भ्रष्टाचार घटता है, और विकास का रास्ता स्पष्ट होता है।
भारत ने पिछले दशक में इस दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है, और आगे की यात्रा इसे दुनिया के सबसे पारदर्शी शासन मॉडलों में बदल सकती है।
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