रावण क्या सिर्फ बुरा था ?
रावण: केवल खलनायक नहीं, एक अद्वितीय नायक भी
भारतीय संस्कृति में रामायण को धर्म, नीति और आदर्शों का ग्रंथ माना गया है। इसमें राम जहाँ आदर्श पुरुष के रूप में उभरते हैं, वहीं रावण को प्रायः खलनायक के रूप में दिखाया जाता है। लेकिन अगर हम गहराई से देखें तो रावण केवल “बुरा” ही नहीं था। उसके जीवन में कई ऐसे पहलू हैं जो उसे एक असाधारण व्यक्तित्व, ज्ञानी और कुछ मायनों में नायक भी बनाते हैं।
रावण का जन्म और ज्ञान
रावण ऋषि पुलस्त्य का वंशज और विद्वान ब्राह्मण था। उसे शास्त्र, वेद और उपनिषदों का गहरा ज्ञान था। वह इतना बड़ा ज्ञानी था कि उसे “महापंडित” कहा जाता था। उसकी विद्वता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने ही शिव तांडव स्तोत्र की रचना की, जो आज भी भक्ति और काव्य की दृष्टि से अद्वितीय है।
शिव का परम भक्त
रावण शिव का परम भक्त था। उसके तप और भक्ति ने उसे असाधारण शक्तियाँ दीं। जब उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपना सिर अर्पित किया, तो शिव ने उसे दस सिर लौटाए और इसलिए उसे “दशानन” कहा जाने लगा। यह केवल शक्ति नहीं बल्कि उसके भक्ति और त्याग का प्रतीक था।
प्रशासन और समृद्धि
लंका, जिसे रावण ने शासित किया, उस समय सोने की नगरी कही जाती थी। उसका प्रशासन व्यवस्थित, समृद्ध और उन्नत था। यह उसकी शासन क्षमता का प्रमाण है कि लंका व्यापार, कला और विज्ञान में उच्च स्थान पर थी। रावण ने अपने प्रजा के लिए एक संगठित व्यवस्था बनाई थी, जिससे लोग सुखी थे।
विज्ञान और संगीत में योगदान
रावण केवल राजा ही नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक और कलाकार भी था। वह ज्योतिष और आयुर्वेद का गहरा ज्ञाता था। कहा जाता है कि उसने “रावण संहिता” जैसी ग्रंथों की रचना की थी। इसके अलावा वह वीणा वादन का भी महान पारखी था, जिससे उसकी संगीत में गहरी समझ का पता चलता है।
नायक जैसा व्यक्तित्व
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पराक्रमी योद्धा: रावण ने इंद्र और अन्य देवताओं को युद्ध में पराजित किया था। उसका साहस और वीरता अनुपम थी।
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सम्मान देने वाला: जब लक्ष्मण को शक्ति अस्त्र से मूर्छित किया गया, तो रावण ने अपने चिकित्सक सुषेण को भेजकर उन्हें ठीक करने का मार्ग बताया। यह उसके नायक जैसे व्यक्तित्व को दर्शाता है।
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ज्ञान और धर्म का प्रचारक: वह अपने पुत्र मेघनाद और भाई विभीषण को नीति और धर्म का उपदेश देता था।
उसकी एकमात्र भूल
रावण का सबसे बड़ा दोष उसकी अहंकार और सीता हरण था। यही कारण है कि वह खलनायक बना। लेकिन यह भूल उसके पूरे जीवन को नकार नहीं देती। वह केवल “राक्षस” नहीं था, बल्कि एक असाधारण ज्ञानी, भक्त और नायक भी था।
रावण का जीवन हमें यह सिखाता है कि मनुष्य में अच्छाई और बुराई दोनों होते हैं। अगर रावण ने अपने अहंकार को नियंत्रित किया होता, तो शायद इतिहास उसे केवल खलनायक नहीं बल्कि एक महान नायक के रूप में याद करता। आज उसकी अच्छाइयों से हम यह सीख सकते हैं कि ज्ञान, भक्ति और शासन कला का महत्व किसी भी समाज के लिए अनमोल है।
“रावण: आर्य अवतार” – आनंद नीलकंठन
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यह किताब रावण को नये दृष्टिकोण से दिखाती है। इसमें बताया गया है कि वह केवल खलनायक नहीं बल्कि एक विद्रोही और नायक भी था।
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“असुर: Tale of the Vanquished” – आनंद नीलकंठन
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इस उपन्यास में पूरी रामायण को रावण और असुरों के दृष्टिकोण से लिखा गया है। यह रावण की अच्छाइयों और संघर्ष को भी सामने लाता है।
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“रावण संहिता” (प्राचीन ग्रंथ)
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ज्योतिष और तंत्र पर आधारित यह ग्रंथ रावण द्वारा रचित माना जाता है। इसमें ज्योतिषीय ज्ञान और भविष्यवाणी की विधियों का विस्तार है।
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“रावण: Enemy of Aryavarta” – अमीश त्रिपाठी
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यह अमीश त्रिपाठी की रामचंद्र सीरीज़ की तीसरी किताब है, जिसमें रावण का विस्तृत चरित्र चित्रण मिलता है—उसका ज्ञान, उसकी शक्ति और उसका पतन।
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“रावण: The Great King of Lanka” – अशोक बैंकर
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यह किताब रावण को एक महाबली, ज्ञानी और महान राजा के रूप में प्रस्तुत करती है, साथ ही उसकी गलतियों और महत्वाकांक्षाओं पर भी प्रकाश डालती है।
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